May 21 2025 / 12:39 AM

केदारनाथ धाम के कपाट खुले: 108 क्विंटल फूलों से सजी दिव्यता, पहले ही दिन उमड़े 10 हजार भक्त

केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार की शुभ बेला में खोल दिए गए। जैसे ही कपाट खुले, श्रद्धालुओं को बाबा केदार की अखंड ज्योति के दर्शन हुए, और पूरे परिसर में शिव मंत्रों की गूंज फैल गई। रुद्राभिषेक से लेकर शिव तांडव और शिवाष्टक के मंत्रों से वातावरण शिवमय हो उठा।

इस पावन अवसर पर सबसे पहले कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के मुख्य रावल, भीमशंकर लिंगायत, मंदिर पहुंचे। इसके बाद, बाबा के 6 महीने पुराने “भीष्म शृंगार” को विधिपूर्वक हटाया गया — एक परंपरा जो कपाट खुलते ही पूरी होती है।

फूलों की महक और भक्ति का संगम

मंदिर को सजाने के लिए 54 प्रकार के फूलों के 108 क्विंटल से अधिक फूलों का उपयोग किया गया। इनमें नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका से मंगाए गए गुलाब और गेंदा भी शामिल हैं, जो केदारनाथ की दिव्यता को और भव्य बनाते हैं।

भक्तों की भीड़ और टोकन व्यवस्था

पहले ही दिन करीब 10 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। भक्तों की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने टोकन सिस्टम लागू किया है, ताकि दर्शन व्यवस्था व्यवस्थित बनी रहे। अब अगले छह महीने तक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।

चारधाम यात्रा शुरू — एक नजर में अपडेट

  • 30 अप्रैल, अक्षय तृतीया से चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है।
  • गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही खुल चुके हैं।
  • बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे।
  • इस बार जून से अगस्त तक मौसम अनुकूल रहा तो 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।

क्या है भीष्म शृंगार‘? बाबा की दिव्य सजावट की अद्भुत परंपरा

जब कपाट बंद होते हैं, तब शिवलिंग पर विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसे “भीष्म शृंगार” कहते हैं। इसमें 6 लीटर घी से शिवलिंग का लेप किया जाता है, जो बर्फ जैसे जम जाता है। कपाट खुलते समय इस लेप को धीरे-धीरे हटाया जाता है।

भीष्म शृंगार हटाने की प्रक्रिया:

  • सबसे पहले मौसमी फल और ड्राई फ्रूट्स हटाए जाते हैं, जिसे आर्घा कहते हैं।
  • फिर रुद्राक्ष की एक से 12 मुखी मालाएं उतारी जाती हैं।
  • सफेद कॉटन कपड़ा हटाने के बाद घी की परत को सावधानी से निकाला जाता है।
  • इसके बाद होता है गंगा स्नान, जिसमें गोमूत्र, दूध, शहद, और पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है।
  • अंत में भस्म, फूल, और चंदन का तिलक कर बाबा केदार को नवीन रूप में सजाया जाता है।

यह पूरी प्रक्रिया कपाट बंद करते समय लगभग 5 घंटे लेती है, पर कपाट खुलते समय केवल 30 मिनट में यह शृंगार हटाया जाता है।

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