Apr 22 2025 / 9:38 AM

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- CJI ऑफिस भी आएगा RTI के दायरे में

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का ऑफिस भी कुछ शर्तों के साथ सूचना के अधिकार कानून (RTI) के दायरे में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसले में कहा कि सीजेआई का ऑफिस भी पब्लिक अथॉरिटी है। इसे सूचना के अधिकार कानून की मजबूती के लिहाज से बड़ा फैसला माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी जज RTI के दायरे में आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह से साल 2010 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता के मद्देनजर न्यायिक स्वतंत्रता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। SC ने कहा कि कलीजियम के द्वारा सुझाए गए जजों के नाम ही सार्वजनिक किए जा सकते हैं।

फैसले पर जानकारी देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा, पारदर्शिता को बरकरार रखने के लिए यह जरूरी था। जजों की नियुक्ति को डिस्क्लोज करने को भी जस्टिस चंद्रचूड़ ने सूचना के अधिकार के तहत माना है। जजों द्वारा चीफ जस्टिस के सामने असेट डिस्क्लोजर को इस दायरे से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है।

बता दें कि ये अपीलें सुप्रीम कोर्ट के सेक्रटरी जनरल और शीर्ष अदालत के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के साल 2009 के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि सीजेआई का पद भी सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आता है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस पर फैसला सुनाया है। इसमें चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं।

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