Apr 22 2025 / 9:47 AM

मध्य प्रदेश: इंदौर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- धार भोजशाला का होगा एएसआई सर्वे

इंदौर। धार स्थित भोजशाला को लेकर मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने भोजशाला का एएसआई (एएसआई) सर्वेक्षण करने का आदेश जारी किया है। बता दे कि मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। जिस पर पर उच्च न्यायालय ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है।

इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने एएसआई को पांच एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा है। छह सप्ताह में इस टीम को अपनी रिपोर्ट बनाकर सौंपनी होगी। हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आरंभिक तर्क सुनने के बाद मामले में राज्य शासन, केंद्र शासन सहित अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस याचिका में एक अंतरिम आवेदन प्रस्तुत करते हुए मांग की गई थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया जाए कि वह ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में सर्वे करे। सोमवार को इसी अंतरिम आवेदन पर बहस हुई।

हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1902-03 में भोजशाला का सर्वे हुआ था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट के रिकार्ड में है। नए सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है। मुस्लिम पक्ष भी सर्वे की आवश्यकता को नकार रहा है। उसका कहना है कि वर्ष 1902-03 में हुए सर्वे के आधार पर ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने आदेश जारी कर मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज का अधिकार लिया था। यह आदेश आज भी अस्तित्व में है।

हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने पैरवी की। उन्‍होंने कोर्ट को कहा कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं वे साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है। इससे अतिरिक्त कुछ नहीं। हिंदुओं का यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है। हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र पर कोई बदलाव नहीं होगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1902-03 में पुरातत्व विभाग भोजशाला का सर्वे कर चुका है। इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत है। रिपोर्ट के साथ फोटोग्राफ भी संलग्न हैं। इनमें भगवान विष्णु और कमल स्पष्ट नजर आ रहे हैं। नए सर्वे की कोई आवश्यकता ही नहीं है। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही 2003 में आदेश जारी हुआ था।

वहीं धार जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, राजा भोज (1000-1055 ई) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक माने जाते थे। उन्होंने धार जिले में यूनिवर्सिटी की स्थापना की, जिसके बाद उसे भोजशाला के रूप में पहचान मिली। इस भोजशाला को सरस्वती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

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