May 20 2025 / 4:49 PM

PM मोदी के भाषण के बाद डरा पड़ोसी मुल्क! क्या बोले पूर्व राजनयिक?

बिहार के मधुबनी में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहलगाम हमले के आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसा सजा दी जाएगी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. पीएम के इस बयान पर पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित की टिप्पणी सामने आई है और उन्होंने पाकिस्तान को तैयार रहने के लिए कहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी जिले में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर जो बदले की कार्रवाई की बात कही है, उससे पाकिस्तान में डर बैठ गया है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत पहलगाम में हमला करने वाले हर आतंकी और उनके आकाओं की पहचान करेगा और उन्हें कड़ी सजा देकर रहेगा. पीएम मोदी की इस धमकी के बाद भारत में उच्चायुक्त रह चुके पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा है कि भारत कुछ ही दिनों के भीतर पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू कर सकता है. उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान में आतंकवादी हमले हो सकते हैं.

पाकिस्तान के अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से बात करते हुए बासित ने कहा कि 2016 के उरी और 2019 के पुलवामा हमलों के बाद भारत ने जवाबी सैन्य कार्रवाई की थी और इस बार भी वो ऐसा कर सकता है.

बासित ने कहा, ‘बिहार में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषण के लहजे से संकेत मिलता है कि भारत सीमा पार हमले कर सकता है. हमला नियंत्रण रेखा के पार, हमारी तरफ भी हो सकता है, और फिर वो बड़े-बड़े दावे करेंगे कि उन्होंने लॉन्च पैड और आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया है. चाहे इसमें एक हफ्ता लगे या 15 दिन, कुछ न कुछ तो होगा ही.’

सिंधु जल संधि को निलंबित नहीं किया जा सकता- बोले अब्दुल बासित

अब्दुल बासित ने कहा कि सिंधु जल संधि को भारत की तरफ से रद्द करने के बाद पाकिस्तान के लिए तत्काल कोई कूटनीतिक समस्या नहीं है. लेकिन बलूचिस्तान और देश के अन्य हिस्सों में आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी हो सकती है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पाकिस्तान को कानून और व्यवस्था में भारी गड़बड़ी के लिए तैयार रहना चाहिए.

पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक ने कहा कि सिंधु जल संधि को रद्द करने का भारत का कदम ‘प्रतीकात्मक’ है क्योंकि भारत के पास पश्चिमी नदियों की धारा मोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे का अभाव है.

उन्होंने कहा, ‘इस समय भारत जल प्रवाह को रोक नहीं सकता है. सिंधु जल संधि को न तो समाप्त किया जा सकता है, न ही निलंबित किया जा सकता है, न ही एकतरफा तरीके से इसमें बदलाव किया जा सकता है. जब तक दोनों पक्ष सहमत न हों, यह एक स्थायी संधि है.’

सिंधु जल संधि 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुई थी जिसके तहत भारत सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी पाकिस्तान के साथ साझा करता है.

अब्दुल बासित का कहना है कि पाकिस्तान को संधि के मध्यस्थ और गारंटर वर्ल्ड बैंक से संपर्क करना चाहिए और एक मजबूत कूटनीतिक और कानूनी प्रतिक्रिया तैयार करना चाहिए.

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