‘वॉटर स्ट्राइक’ के बाद पाकिस्तान को फिर तगड़ा झटका देने जा रही मोदी सरकार

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर बड़ा एक्शन लेते हुए वाटर स्ट्राइक कर दी। अभी ये मामला चल ही रहा था इसी बीच केंद्र सरकार ने पड़ोसी मुल्क को एक और चोट देने की तैयारी कर ली है। अब सरकार सिंधु नदी बेसिन पर कुछ नई जलविद्युत परियोजनाएं शुरू करने की सोच रही है। जानिए पूरा मामला।
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित करने के बाद सिंधु नदी बेसिन पर तीन नई जलविद्युत परियोजनाओं पर विचार कर रही है। इसके साथ ही दो अन्य प्रोजेक्ट को भी तेजी से पूरा करने का प्लान है। शीर्ष अधिकारी मौजूदा रन-ऑफ-रिवर हाइड्रो परियोजनाओं को स्टोरेज प्रोजेक्ट में बदलने पर भी विचार कर रहे हैं। 1960 में हुई संधि में भारत को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी का इस्तेमाल पाकिस्तान के फायदे को लेकर सीमित कर दिया गया था। तब से, पाकिस्तान अलग-अलग बहानों से इन तीन नदियों पर भारत के जलविद्युत संयंत्र बनाने के प्रस्तावों को रोकता रहा है।
जलशक्ति मंत्रालय का नया प्लान
पिछले महीने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। जिसके बाद भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया। जल शक्ति मंत्रालय ने कैबिनेट को सौंपने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। प्रस्तावित परियोजनाएं चिनाब नदी पर सावलकोट स्टेज II (1,856 मेगावाट), किर्थई स्टेज II (930 मेगावाट) और दुलहस्ती स्टेज II (260 मेगावाट) हैं।
मंत्रालय की कैबिनेट से खास अपील
इसके अलावा, मंत्रालय ने उन परियोजनाओं को कैबिनेट की मंजूरी देने का अनुरोध किया है जो पाकिस्तानी हस्तक्षेप के कारण धीमी हो गई थीं या छोड़ दी गई थीं। इनमें मारुसुदर नदी पर बनने वाली बुरसर परियोजना (800 मेगावाट) भी शामिल है, जो सिंधु बेसिन के भीतर है। झेलम नदी पर बनी उरी स्टेज II (260 मेगावाट) परियोजना, जिसे 2013-14 में शुरू किया गया था, अभी तक अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाई है।
सिंधु जल संधि पर रोक के बाद बड़ी तैयारी
जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारी कई परियोजनाएं पिछले चार दशकों में आगे नहीं बढ़ पाई हैं, इसलिए सरकार जल्द से जल्द संचालन बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है। सिंधु जल संधि पर रोक है, इसलिए सरकार पाकिस्तान की किसी भी आपत्ति पर विचार नहीं करेगी। स्थायी सिंधु आयोग, जिसकी सालाना मीटिंग अनिवार्य है, पिछले दो साल से निष्क्रिय है।
कई प्रोजेक्ट 1984 से हैं ठप, शुरू करने का प्लान
सिंधु बेसिन पर भारत की कई परियोजनाएं 1984 से रुकी हुई हैं। सावलकोट जलविद्युत परियोजना (1,856 मेगावाट) को 1984 में अवधारणा के बावजूद पाकिस्तानी विरोध के बाद बंद करना पड़ा था। किर्थई-II (930 मेगावाट) की कल्पना 1984 में की गई थी, जबकि किर्थई I पर काम निर्माण से पहले के फेज में है। सरकार का लक्ष्य है कि जिन परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है, उन्हें जल्द से जल्द शुरू किया जाए।