May 20 2025 / 2:43 PM

भारत के सख्त रुख से बैकफुट पर आए ट्रंप

पहले श्रेय लेने में जुटे फिर पीछे हटे, ऐसे नरम पड़े के सुर

बीते कई दिनों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का श्रेय लेने में जुटे थे। इसके बाद बीते दिन यानी 15 मई को उन्हें इससे पलटी मार दी। इसके बाद से ही भारत समेत दुनिया भर के कई देश उनकी विश्वसनीयता पर ही सवाल उठाने लगे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह कहते आए कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मनाया। ऐसा उन्होंने एक बार नहीं, बल्कि बार-बार कहा। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम जिम्मेदार लोगों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरीकों से ट्रंप के हर दावे का खंडन किया। मामला तब शुरू हुआ, जब ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का एलान करने वाला एक पोस्ट ट्रूथ सोशल पर किया। इसके बाद भारत के विदेश सचिव ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उन्होंने साफ कहा कि समझौता भारत और पाकिस्तान की बातचीत से हुआ है, इसमें किसी तीसरे पक्ष का कोई हस्तक्षेप नहीं है।

इस बीच भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय लेने वाले ट्रंप के सुर थोड़े बदले नजर आए। पहले मध्यस्थता का दावा करने वाले ट्रंप ने दोहा में कहा कि वैसे तो मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने ऐसा किया। पर मैंने पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव खत्म करने में निश्चित रूप से मदद की, जो लगातार बढ़ता जा रहा था। मुझे उम्मीद है कि अब समाधान हो चुका है।

कब हुई सीजफायर से जुड़ी ट्रंप की गलत बयानी की शुरुआत?
10 मई को भारत और पाकिस्तान के संघर्ष विराम का दावा सबसे पहले ट्रंप ने किया। उन्होंने शाम पांच बजकर 37 मिनट पर दोनों देशों के बीच सीजफायर का दावा किया। इसके बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री और भारत के विदेश सचिव ने इसे लेकर आधिकारिक एलान किया। इसके बाद से ही ट्रंप सभी की नजरों में आ गए। पाकिस्ताप ने जरूर ट्रंप का धन्यवाद दिया, लेकिन भारत ने अमेरिका राष्ट्रपति के दावों को सिरे से खारित कर दिया।

कश्मीर मुद्दे का जिक्र कर भारत के निशाने पर आए ट्रंप
11 मई को ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया। इसके बाद तो ट्रंप पर भारतीयों का गुस्सा बरस पड़ा। दरअसल, ट्रंप ने लिखा, ‘मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है, क्योंकि उनके पास यह जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य है कि वर्तमान संघर्ष को रोकने का समय आ गया है, जो कई लोगों की मौत और विनाश का कारण बन सकता था। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे! आपकी विरासत आपके बहादुर काम से बहुत बढ़ गई है। मुझे गर्व है कि अमेरिका ने आपको इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय पर पहुंचाने में मदद की। अभी चर्चा नहीं हुई है, लेकिन मैं इन दोनों महान देशों के साथ व्यापार को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं। इसके अलावा मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखने के लिए काम करूंगा कि क्या हजार साल के बाद कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है। भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को अच्छी तरह से किए गए काम के लिए आशीर्वाद दें!!!’

भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बार-बार खारिज किया
भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बार-बार खारिज किया है। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका को भी कमतर बताते हुए कहा था कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सहमति बनी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लगातार अपना रुख बनाए रखा है। उन्होंने कहा था, ‘भारत और पाकिस्तान ने गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनाई है। भारत ने लगातार आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ दृढ़ और अडिग रुख बनाए रखा है। यह ऐसा करना जारी रखेगा।’

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