इंदौर का 30 साल का ट्रांसफॉर्मेशन — तांगे की टक-टक से मेट्रो की रफ्तार तक का हाईटेक सफर, लेकिन ट्रैफिक के झाम से अब भी नहीं मिला आराम!

मध्य प्रदेश का दिल कहे जाने वाला इंदौर सिर्फ सफाई में नंबर वन नहीं, बल्कि ट्रांसपोर्ट के बदलावों में भी अव्वल रहा है। बीते 30 सालों में इस शहर ने ऐसा सफर तय किया है, जो कभी तांगे और टेंपो की गाड़ियों से शुरू हुआ और अब मेट्रो की रफ्तार तक आ पहुंचा। सिटी बस, बीआरटीएस और अब मेट्रो, आने वाले वक्त में तो केबल कार भी लोगों को भीड़-भाड़ से ऊपर उड़ा ले जाएगी। लेकिन एक सवाल आज भी शहरवासियों के दिल में जस का तस है — क्या मेट्रो की स्पीड भी ट्रैफिक जाम की सुस्त रफ्तार को हरा पाएगी?
बदलती सड़कों, दौड़ती मेट्रो और भविष्य की योजनाओं के बीच इंदौर एक नया रूप ले रहा है — लेकिन फुटपाथ पर दुकानें, ई-रिक्शा का कब्ज़ा और हर चौराहे पर रुकती गाड़ियों की कतारें बताती हैं कि असली सुधार अभी बाकी है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। इस दौरान वे प्रदेश की राजधानी भोपाल से इंदौर मेट्रो ट्रेन का वर्चुअली लोकार्पण करेंगे। हालांकि, मेट्रो अभी छह किलोमीटर के हिस्से में ही चलेगी। लेकिन, सालभर बाद गांधी नगर से रेडिसन चौराहा तक (17 किलोमीटर) मेट्रो का संचालन होगा। इंदौर में मेट्रो का रुट 31 किलोमीटर का है। अभी छह किलोमीटर में मेट्रो का अधिकतम किराया 30 रुपये है।
इंदौर शहर की पुरानी तस्वीरें…
राजवाड़ा चौक पर हर साल राखी बाजार सजा करता था। अब यहां यह बाजार तो नहीं लगता, लेकिन दीपावली पर फेरीवाले सामान बेचते है।

राजवाड़ा के आसपास भी पुराने भवन थे। राजवाड़ा के पड़ोस में शिव विलास पैलेस है, जो अब मार्केट में तब्दीूल हो चुका है। राजवाड़ा तक तांगे और बैलगाडि़यां चला करती थी।

राजवाड़ा का प्राचीन चित्र। पहले राजवाड़ा के सामने ही त्यौहार मनाए जाते थे। बाजार सजते थे। राजवाड़ा आज भी लोगों के उत्साह का केंद्र है। टीम इंडिया की जीत का जश्न आज भी शहरवासी यहां मनाते है।
