Jul 06 2025 / 11:13 AM

खुशी कूलवाल आत्महत्या केस : नाना पटवारी और खुशी के क्या थे संबंध, सात साल बाद फिर खुली फाइल, नप सकते हैं कई अधिकारी

इंदौर।
यशवंत क्लब की पूर्व सदस्य और हाईप्रोफाइल महिला खुशी कूलवाल की आत्महत्या का मामला सात साल बाद एक बार फिर सुर्खियों में है। 2018 में आत्महत्या करने वाली खुशी के केस की फाइल अब दोबारा खोली गई है। मामले में राजनीतिक, प्रशासनिक और कारोबारी जगत के कई बड़े नामों के आने के कारण उस समय जांच पर परदा डाल दिया गया था।

शनिवार को पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह ने इस केस की पुनः जांच के आदेश देते हुए केस डायरी डीसीपी जोन-2 अभिनय विश्वकर्मा को सौंपी। अब यह केस नए सिरे से खंगाला जाएगा और अगर निष्पक्ष जांच हुई, तो कई रसूखदार चेहरों पर से पर्दा उठ सकता है।


🔍 क्या है मामला?

जुलाई 2018 में 37 वर्षीय खुशी कूलवाल ने महालक्ष्मीनगर स्थित होराइजन ओएसिस पार्क के एक फ्लैट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। खुशी ने अपने कारोबारी पति मयंक से तलाक लेने के बाद यह फ्लैट किराए पर लिया था।

मृत्यु के समय वह अपने दोस्त राहुल पाटनवाला के साथ थी, जो घटना के बाद मौके से फरार हो गया था। इस केस में कुछ प्रमुख नाम सामने आने के बावजूद जांच को दबा दिया गया। जांच में खुलासा हुआ कि एक कांग्रेस के पूर्व विधायक का भाई, जो ड्रग्स मामलों में संदिग्ध रहा है, खुशी के संपर्क में था।


मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान के बाद खुली फाइल
दरअसल, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जीतू पटवारी के भाई नाना पटवारी पर सीधे आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि “नाना पटवारी के दबाव में एक युवती ने आत्महत्या कर ली थी।” मंत्री के बयान के बाद साल 2018 में कांग्रेस सरकार के समय हुए खुशी कूलवाल आत्महत्या मामले की फाइल एक बार फिर खुल गई है।

🚨 ड्रग्स, पार्टी और रसूखदारों की मौजूदगी

खुशी के बारे में सामने आया कि वह पिपल्याहाना निवासी मयूरी के ज़रिए ड्रग्स मंगवाया करती थी और देर रात पबों में होने वाली शराब व ड्रग्स पार्टियों में हिस्सा लेती थी।

सूत्रों के अनुसार, कुछ हाईप्रोफाइल कारोबारी उसे गोवा भी ले गए थे। उस दौरान पूछताछ में जिम ट्रेनर प्रकाश, ट्रैवल एजेंट अरविंद, कमलेश, पवन यादव और राहुल पाटनवाला जैसे लोगों के बयान लिए गए, लेकिन मुख्य चेहरों तक पहुंचने की कोशिश नहीं हुई।


⚖️ अब विधायक के भाई पर फिर से फोकस

जांच का केंद्र एक बार फिर कांग्रेस के पूर्व विधायक के भाई पर है, जिसका नाम ड्रग्स पैडलर सोहन उर्फ जोजो के मेमोरेंडम में आया था। जोजो पर 2020 में ड्रग्स (एमडी) का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें उसने इस पूर्व विधायक के भाई का नाम लिया था, लेकिन तत्कालीन टीआई तहजीब काजी ने कार्रवाई नहीं की

सूत्रों के मुताबिक, मोबाइल डेटा से जुड़े कई अहम साक्ष्य जानबूझकर डिलीट कराए गए थे, और तीन जब्त मोबाइल फोनों की फॉरेंसिक जांच के बाद भी यह कहा गया कि सुसाइड नोट नहीं मिला।


📂 पुराने ड्रग्स मामलों की भी जांच दोबारा होगी

2020 में सामने आए ड्रग्स केस को भी अब री-ओपन किया जा रहा है। इसमें भी कई पुराने कनेक्शन सामने आ सकते हैं, जिनमें होटल, पब और रेस्त्रां संचालकों से लेकर रसूखदार व्यवसायी और अफसरों के नाम शामिल हैं।


🧩 निष्कर्ष: क्या अब सच सामने आएगा?

खुशी कूलवाल की आत्महत्या को लेकर शुरू हुई दोबारा जांच कई नए खुलासे कर सकती है। सवाल यह है कि क्या अब उन चेहरों को बेनकाब किया जाएगा, जो पहले रसूख और सत्ता की आड़ में बचे रहे?

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