अस्थिरता की आग में झुलसता बांग्लादेश: वेतन बंद, भविष्य अधर में

- बांग्लादेश पर संकट के बादल: प्रशासन ठप, चुनाव टले
- वेतन नहीं, काम नहीं: बांग्लादेश प्रशासनिक जड़ता की चपेट में
- यूनुस बोले- युद्ध जैसे हालात, देश में हर तरफ असंतोष
- बांग्लादेश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात, चुनाव आगे खिसका
- संकट में बांग्लादेश: कर्मचारियों की हड़ताल, यूनुस बोले ‘देश युद्ध में है’
बांग्लादेश इन दिनों गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। देश में प्रशासनिक मशीनरी ठप पड़ी है, कर्मचारी आंदोलनरत हैं और अंतरिम सरकार अस्थिरता से जूझ रही है। राजस्व से लेकर शिक्षा विभाग तक में कामबंदी ने हालात को जटिल बना दिया है।
अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने हालात की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा है कि देश “युद्ध जैसी स्थिति” का सामना कर रहा है। जहां पहले दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की बात की जा रही थी, अब यूनुस का कहना है कि आम चुनाव जून 2026 तक ही संभव हो पाएंगे।
सचिवालय में प्रदर्शन, सरकारी महकमा ठप
ढाका स्थित बांग्लादेश सचिवालय—जहां से देश का प्रशासन संचालित होता है—वहाँ लगातार दूसरे दिन सरकारी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रस्तावित सरकारी सेवा संशोधन अध्यादेश, 2025 के खिलाफ है, जिसे कर्मचारी अपनी नौकरी की सुरक्षा के लिए खतरा मान रहे हैं।
प्रदर्शनकारी इस अध्यादेश को ‘काला कानून’ कह रहे हैं क्योंकि इसके तहत अधिकारियों को बर्खास्त करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की शक्ति बढ़ा दी गई है। इसके विरोध में राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (NBR) के अधिकारी भी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे आयात-निर्यात गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ा है।
शिक्षकों की कामबंदी से शिक्षा व्यवस्था पर असर
सरकारी प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक भी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। उनकी मांग है कि उनका प्रारंभिक वेतन राष्ट्रीय वेतनमान के 11वें ग्रेड के बराबर किया जाए। इससे देशभर की शिक्षा व्यवस्था भी बाधित हो गई है।
उद्योग जगत में डर और निराशा
व्यापारिक समुदाय भी देश की बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंता में है। बांग्लादेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन (BTMA) के प्रमुख शौकत अजीज रसेल ने चेतावनी दी कि देश में ‘अकाल जैसे हालात’ बन सकते हैं। उनका कहना है कि व्यापारियों को उसी तरह निशाना बनाया जा रहा है जैसे 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बुद्धिजीवियों को मारा गया था।
रसेल ने कहा, “ईद-उल-अजहा से पहले श्रमिकों को वेतन और बोनस कैसे देंगे, यह स्पष्ट नहीं है।” उन्होंने यह भी बताया कि विदेशी निवेशक अब बांग्लादेश की बजाय वियतनाम जैसे देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ता अविश्वास
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में चल रही अंतरिम सरकार को न केवल आर्थिक मोर्चे पर, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता से भी जूझना पड़ रहा है। अवामी लीग की गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद देशभर में असंतोष और तनाव फैल गया है। यूनुस ने खुलकर कहा कि यह स्थिति अब एक “आंतरिक संघर्ष” जैसी बनती जा रही है।