Apr 12 2025 / 12:16 PM

धनतेरस पर करें धन के देवता कुबेर के इस मंत्र जप, धन से भर जाएगा घर

धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है, इसलिए इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। धनतेरस पर कुबेर को प्रसन्न करने के लिए उनके विशेष मंत्रों का जप किया जाता है। देवताओं के वैद्य धनवन्तरि की पूजा होती है। मृत्यु के देवता यमराज के लिए यम दीपक जलाया जाता है।

भगवान शिव से कुबेर को धनपति होने का वरदान प्राप्त है और वे भगवान शिव के परम सेवक भी हैं। भगवान शिव से वरदान प्राप्त होने के कारण पृथ्वी की संपूर्ण धन और संपदा के मालिक हैं। इस कारण से धन त्रयोदशी के दिन विधि विधान से पूजा करके कुबेर को प्रसन्न किया जाता है।

कुबेर को मंत्र-साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है। कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।

अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है-
मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

मंत्र का विनियोग कैसे करें-
अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:

हवन कैसे करें-
तिलों का दशांस हवन करने से प्रयोग सफल होता है। यह प्रयोग शिव मंदिर में करना उत्तम रहता है। यदि यह प्रयोग बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठ कर हो सके तो अधिक उत्तम होगा। प्रयोग सूर्योदय के पूर्व संपन्न करें।

कुबेर स्थिर
धनतेरस को कुबरे की पूजा करने के पीछे एक कारण यह भी है कि कुबरे का धन स्थिर माना जाता है, जबकि माता लक्ष्मी से प्राप्त धन स्थिर नहीं होता है, इसलिए वह चंचला भी कही जाती हैं। कुबेर से प्राप्त धन स्थिर होता है, इसलिए धनतेरस को इनकी पूजा करने से घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।

ऐसा है कुबेर का स्वरूप
ऐसी मान्यता है कि कुबेर कुरूप हैं। उनके 3 पैर और 8 दांत हैं। बेडौल और मोटी काया के कारण इनको राक्षस भी कहा गया है। इनको यक्ष भी कहा जाता है। यक्ष धन का रक्षक माना जाता है, इसलिए खजानों या मंदिरों के बाहर कुबेर की प्रतिमाएं लगाई हुई मिलती हैं।

रावण के सौतेले भाई थे कुबरे
कुबरे रावण के सौतेले भाई थे। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कुबेर का दूसरा नाम वैश्रवण है। वह महर्षि विश्रवा और महामुनि भरद्वाज की पुत्री इड़विड़ा के बेटे थे। विश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकर्ण व विभीषण का जन्म हुआ था।

धनतेरस को यम दीपक जलाए
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को घर से बाहर यम दीपक जलाया जाता है, जो मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है। परिवार के सदस्यों को असामयिक मृत्यु से बचाने के लिए ऐसा करते हैं।

Share With

मध्यप्रदेश