दिग्विजय सिंह का बीजेपी पर हमला: विजय शाह को बचाने का आरोप, सीजफायर पर उठाए सवाल

इंदौर।
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज इंदौर में पत्रकारों से बातचीत में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले, पाकिस्तान पर की गई सैन्य कार्रवाई, और भाजपा नेता विजय शाह के विवादित बयान पर अपनी राय रखी।
दिग्विजय सिंह ने कहा, “हाईकोर्ट के जज ने वह फैसला सुनाया, जो बीजेपी को लेना चाहिए था। मैं उनका धन्यवाद करता हूं। यह स्पष्ट है कि बीजेपी विजय शाह को बचाने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजय शाह के बयान से सहमत हैं? यदि नहीं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
पहलगाम हमले पर सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर भी केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि सेना और खुफिया एजेंसियों की कार्रवाई सराहनीय रही, लेकिन अब तक हमलावर आतंकियों की पहचान क्यों नहीं हो पाई? उन्होंने कहा, “इतने बड़े हमले के बाद भी चारों आतंकियों की पहचान सामने नहीं आना, गंभीर सवाल खड़े करता है।”
विजय शाह के बयान को लेकर भाजपा पर तंज
विजय शाह के मुस्लिम समुदाय को लेकर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि इससे भाजपा की “संघी सोच” उजागर होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है और हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से देखती है।
उन्होंने कहा, “कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर जिस तरह से ट्रोल आर्मी ने हमला बोला, वह दर्शाता है कि भाजपा की विचारधारा कितनी विभाजनकारी हो चुकी है। यहां तक कि भारत सरकार के प्रवक्ता विक्रम जीत और उनके परिवार तक को नहीं बख्शा गया।”
सीजफायर पर भी उठाया सवाल
सीजफायर को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने अचानक पाकिस्तान के साथ युद्धविराम का फैसला क्यों लिया, इसकी कोई पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के दबाव के बाद पाकिस्तान की ओर से सीजफायर की पहल की गई, और सरकार ने बिना विपक्ष को भरोसे में लिए निर्णय ले लिया।
“विपक्ष से डरती है मोदी सरकार”
कांग्रेस नेता ने कहा कि गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार को विपक्ष के साथ चर्चा करनी चाहिए, जैसा कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय में होता था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष से चर्चा करने से कतराते हैं, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सभी दलों को साथ लेकर चलना चाहिए।”