जानें कब है महाशिवरात्रि, महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त

भगवान शिव-शंकर के पावन पर्व महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस दिन विशेष रूप से भोलेनाथ की पूजा होती है, व्रत रखा जाता है और माना जाता है कि इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 21 फरवरी, शुक्रवार को है। इस व्रत का बड़ा महत्व है।
महाशिवरात्रि का महत्व-
ईशान संहिता के अनुसार
फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:।
तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथि:।
अर्थात् फाल्गुन चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिव लिंगरूप में अमिट प्रभा के साथ उद्भूत हुए। इस रात को कालरात्रि और सिद्धि की रात भी कहते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के पर्व को शिव साधक बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं और पूजा और कीर्तन करते हैं। वहीं पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था। मान्यता यह भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहू्र्त-
महाशिवरात्रि 21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी कि 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी। रात्रि प्रहर की पूजा शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी। अगले दिन सुबह मंदिरों में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाएगी।
बता दें कि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव पर पूजा करते वक्त बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सारी समस्याएं दूर होंगी साथ ही मांगी हुई मुराद भी पूरी होगी।