लंदन-न्यूयॉर्क में भी बारिश मचाती है कहर? दिल्ली, मुंबई की तरह वहां क्यों नहीं होता जल जमाव, जानिए

भारत के शहर हर मानसून में जलभराव से बेहाल, लेकिन विदेशी शहर क्यों हैं तैयार?
हर साल मानसून में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु की सड़कें तालाब बन जाती हैं, ट्रैफिक थम जाता है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहर भी तो भारी बारिश झेलते हैं, फिर वहां जलभराव क्यों नहीं होता?

🇮🇳 भारत की प्रमुख समस्याएं
1. 🚧 पुराना और कमजोर ड्रेनेज सिस्टम
- दिल्ली और मुंबई में दशकों पुराने सीवरेज सिस्टम।
- भारी बारिश झेलने की क्षमता नहीं।
2. 💧 रेनवाटर हार्वेस्टिंग की कमी
- सीमित इमारतों में ही सिस्टम।
- राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रभावी क्रियान्वयन नहीं।
3. 🌆 बेतरतीब शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन
- हरियाली और वेटलैंड्स में भारी कटौती।
- बारिश तेज और अनियमित हो गई है।
4. 🗑️ कचरा प्रबंधन का अभाव
- मुंबई: 650 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन, नालियाँ जाम।
- दिल्ली में भी नालों की नियमित सफाई नहीं।
5. ⚠️ सीमित सरकारी प्रयास
- दिल्ली (2025): 445 जलभराव पॉइंट्स चिन्हित।
- समाधान के बजाय सिर्फ अस्थायी मरम्मत।
🌍 लंदन और न्यूयॉर्क से क्या सीख सकता है भारत?
1. 💦 रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाना
- लंदन: हर नई इमारत में यह ज़रूरी।
- न्यूयॉर्क: 10,000+ रेन गार्डन्स, 1.5 बिलियन गैलन पानी प्रबंधित।
2. 🌱 SUDS: सस्टेनेबल अर्बन ड्रेनेज सिस्टम
- रेन गार्डन्स, ग्रीन रूफ्स, परमिएबल सड़कों का प्रयोग।
- सीवरेज पर दबाव घटता है, पानी ज़मीन में समाता है।
3. 🏞️ वेटलैंड्स और हरियाली का संरक्षण
- लंदन: 47% क्षेत्र हरियाली, 3,000+ पार्क।
- न्यूयॉर्क: Jamaica Bay में 10,000 एकड़ वेटलैंड पुनर्जीवित।
4. 📜 सख्त कानून और इंसेंटिव्स
- टैक्स क्रेडिट, सब्सिडी, बिलों में छूट जैसे प्रोत्साहन।
- NYC में 5,000+ इमारतें पहले ही सिस्टम अपना चुकी हैं।
5. 🏗️ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर
- Thames Tideway Tunnel (लंदन): 95% नदी प्रदूषण में कमी।
- Cloudburst Plan (न्यूयॉर्क): 2 मिलियन गैलन पानी प्रबंधन क्षमता।
✅ भारत के लिए समाधान क्या हैं?
- हर इमारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य हो
- स्मार्ट शहरी ड्रेनेज (SUDS) का प्रयोग
- वेटलैंड्स की रक्षा और पुनर्बहाली
- कचरा प्रबंधन और नालियों की सफाई
- टैक्स छूट, जागरूकता और तकनीकी डेटा का उपयोग
🔎 निष्कर्ष
भारत जलवायु संकट के दौर में प्रवेश कर चुका है। CAG (2024) की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि बाढ़ प्रबंधन योजनाएं अधूरी हैं। अब समय है सीख लेने का — लंदन और न्यूयॉर्क से, जहां बारिश आफत नहीं, एक सामान्य घटना है।