Apr 12 2025 / 12:10 PM

महाशिवरात्रि 2020, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस वर्ष 2020 में महाशिवरात्रि का पवित्र पर्व 21 फरवरी को आ रहा है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है वैसे तो शिवरात्रि प्रत्येक मास में पड़ती है। लेकिन फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को अधिक महत्व दिया जाता है। जिसे महाशिरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शिव भक्त पूरे दिन का व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है

शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि आरंभ- सुबह 5 बजकर 20 मिनट से (21 फरवरी 2020)
चतुर्दशी तिथि समाप्त- अगले दिन 7 बजकर 2 मिनट तक (22 फरवरी 2020)

महत्व
महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन की रात्रि कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के अर्धनारिश्वर रूप की आराधान की जाता है। साल में 12 शिवरात्रियां आती है। लेकिन जो शिवरात्रि फाल्गुन मास में आती है उसे हिंदू धर्म में अधिक महत्व दिया जाता है। जिसे महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं।

माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और शिव भक्तों को जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ अपने आराध्य देव के दर्शनों के लिए आते हैं। इस दिन प्रात: काल ही मंदिरों में भजन और कीर्तन का दौर शुरू हो जाता है।

कई जगहों पर तो इस दिन भांग को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। क्योंकि भांग भगवान शिव को अत्याधिक प्रिय है। महाशिवरात्रि के दिन कुंडली में सभी प्रकार के दोष समाप्त होते हैं और नवग्रहों से संबंधित परेशानियां भी समाप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव पूरे संसार में विचरण करते हैं और जो भी व्यक्ति इस दिन रात में जागकर भगवान शिव की आराधना करता है। उसे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।

पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि की पूजन सामग्री में घी,शहद, गंगा जल,दूध दही,अक्षत गुड़ फल, शकरकंद, केला, बेर, गाजर और कोई भी फल जो आप चाहें ले सकते हैं। इसके अलावा आपको अक्षत, सिंदूर, चंदन,गंदे के फूल, धतुरे के फूल, कोई भी एक जंगली फूल, धतुरे का फल नई गेहु की बाली, भांग, इत्र और बेलपत्र लेने चाहिए। भगवान की पूजा में बेलपत्र, 5,7,11,21 ही होने चाहिए। इस बात का आपको विशेष तौर पर ध्यान रखने की आवश्यकता है।

पूजन विधि

  • महाशिवरात्रि के दिन साधक को किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • इसके बाद पूजन का संकल्प लेना चाहिए और भगवान शिव के मंदिर में जाना चाहिए।
  • मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाकर उनका विधिवत पूजन करें और उन्हें मोदको का भोग लगाकर उनकी आरती उतारें।
  • इसके बाद माता पार्वती नन्दीश्वर और कार्तिकेय का पूजन करें। लेकिन स्त्रियां कार्तिकेय पूजन न करें।
  • इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें उनकी प्रिय वस्तुएं भांग, धतुरा, बिल्वपत्र,इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, वस्त्र, जनेऊ आदि चढाएं।
  • इसके बाद भगवान शिव को जल चढ़ाएं। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और उनकी कथा अवश्य पढ़ें।
  • इसके बाद भगवान शिव की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें नैवेध का भोग लगाएं।
  • नैवेद्य का भोग लगाकर भगवान शिव की धूप व दीप से आरती उतारें।
  • इसके बाद भगवान शिव से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।
  • अंत में किसी बैल को चारा अवश्य खिलाएं। बैल को नंदी का स्वरूप माना जाता है जो भगवान शिव का वाहन भी है।
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