Apr 12 2025 / 12:11 PM

कल है माघ पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

माघ पूर्णिमा का पर्व 09 फरवरी को है। इस तिथि पर तीर्थ में स्नान करने से और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के मुताबिक नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नामक विद्वान ब्राह्मण रहते थे, लेकिन वे काफी लालची थे। इनका लक्ष्य किसी भी तरह धन कमाना था और ऐसा करते-करते ये समय से पूर्व ही वृद्ध दिखने लगे और कई बीमारियों की चपेट में आ गए। इस बीच उन्हें अंर्तज्ञान हुआ कि उन्होंने पूरा जीवन तो धन कमाने में बीता दिया, अब जीवन का उद्धार कैसे होगा।

इसी क्रम में उन्हें माघ माह में स्नान का महत्व बताने वाला एक श्लोक याद आया। इसके बाद स्नान का संकल्प लेकर ब्राह्मण नर्मदा नदी में स्थान करने लगे। करीब 9 दिनों तक स्नान के बाद उऩकी तबियत ज्यादा खराब हो गई और मृत्यु का समय आ गया। वे सोच रहे थे कि जीवन में कोई सत्कार्य न करने के कारण उन्हें नरक का दुख भोगना होगा, लेकिन माघ मास में स्नान के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

मुहूर्त
फरवरी 8, 2020 को 16:03:05 से पूर्णिमा प्रारंभ
फरवरी 9, 2020 को 13:04:09 पर पूर्णिमा समाप्त

महत्व
माघ नक्षत्र के नाम से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति होती है। मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में लिखे कथनों के अनुसार यदि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं तथा उन्हें सुख-सौबाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं। साथ ही माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किये जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए।

व्रत और पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय में स्नान करना चाहिए।

स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए।

मध्याह्न काल में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।

दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए।

माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए।

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