Jul 06 2025 / 2:31 AM

फिर पाकिस्तान बनने जा रहा बांग्लादेश? क्या खत्म हो चुका है उसका अस्तित्व?

पाकिस्तानी प्रभाव में डूबता बांग्लादेश – क्या ये पांच संकेत झूठे हैं?

नई दिल्ली:
बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को देखकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह एक बार फिर उसी दिशा में जा रहा है, जिससे 1971 में आज़ादी पाकर निकला था? जिस विचारधारा के खिलाफ बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश की नींव रखी थी, वही सोच अब उसकी व्यवस्था पर हावी होती दिख रही है।

2024 में अवामी लीग की सरकार को संदिग्ध शक्तियों के समर्थन से हटाया गया और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब से एक-एक करके ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, जो साफ तौर पर बांग्लादेश के अस्तित्व और स्वतंत्र सोच पर हमला करते हैं।

यहां हम उन पांच बड़े संकेतों की बात कर रहे हैं, जो बताते हैं कि बांग्लादेश अब अपनी पहचान खोने की कगार पर है:


🏦 1. करेंसी से हटा दी गई ‘राष्ट्रपिता’ शेख मुजीब की तस्वीर

बांग्लादेश के नए करेंसी नोटों (1000, 50 और 20 टका) से अब शेख मुजीब की तस्वीर को हटा दिया गया है। सेंट्रल बैंक के मुताबिक, इन नोटों पर अब केवल प्राकृतिक दृश्य और पारंपरिक इमारतें होंगी। यह फैसला महज डिज़ाइन परिवर्तन नहीं, बल्कि एक विचारधारा को खत्म करने की कोशिश माना जा रहा है।


⚖️ 2. शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर हिंसा और मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल में उन पर मुकदमा चल रहा है, जिसमें दोषी पाए जाने पर उन्हें मौत की सजा तक दी जा सकती है।


🕌 3. जमात-ए-इस्लामी की फिर से वापसी

पाक समर्थित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी का राजनीतिक पुनर्जन्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के चुनावी रजिस्ट्रेशन को बहाल कर दिया है। यह वही संगठन है जिसने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध किया था और पाकिस्तान की सेना का साथ दिया था।


⚰️ 4. युद्ध अपराधी को बरी कर दिया गया

1971 के नरसंहार में दोषी ठहराए गए जमात नेता एटीएम अजहरुल इस्लाम को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बरी कर दिया। इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने उसे हत्या, अपहरण और प्रताड़ना जैसे गंभीर आरोपों में मौत की सजा दी थी। लेकिन अब उसे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।


⚖️ 5. न्यायपालिका पर भी दिख रहा है सियासी दबाव

बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि न्यायपालिका अब स्वतंत्र नहीं रही। अंतरिम सरकार और चरमपंथी संगठनों का दबदबा यहां भी महसूस किया जा रहा है।


निष्कर्ष: बांग्लादेश की पहचान संकट में

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि बांग्लादेश अपने ऐतिहासिक मूल्यों से दूर होता जा रहा है। जिस लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष सोच पर यह राष्ट्र खड़ा हुआ था, वह धीरे-धीरे कट्टरपंथी और पाकिस्तानी प्रभाव में डूबती नजर आ रही है।

बड़ा सवाल यह है—क्या बांग्लादेश दोबारा पाकिस्तान बनता जा रहा है? और क्या यह सिर्फ शुरुआत है?

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