कब है बसंत पंचमी, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भारतीय समाज में काफी महत्व रहा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ था जिसकी खुशी में बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है। बसंत को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योंकि इस महीने में न तो ज्यादा सर्दी होती और न ही गर्मी। इस बसंत पंचमी का त्योहार 29 जनवरी को है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती के प्रतीक चिन्हों की भी आराधना होती है।
बसंत पंचमी का महत्व-
- बसंत पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है।
- बसंत पंचमी पर भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है।
- बसंत पंचमी के पर्व को ऋषि पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी आदि के नाम से भी जाना जाता है।
- बसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। मुख्यतयाः विद्यारंभ ,नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह-प्रवेश के लिए वसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयकर माना गया है।
- इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर और पीला तिलक लगाकर घरों को पीले रंग से सजाते हैं।
- बसंत पंचमी के ही दिन भगवान राम माता सीता की खोज में शबरी नामक भीलनी की कुटिया में पहुंचे थे। जहां पर शबरी ने प्रभु राम के प्रेम में खोकर भगवान राम को झूठे मीठे बैर खिलाए थे। यह स्थान गुजरात के डांग जिले में स्थित हैं। यहां के लोग आज भी उस शिला को बसंत पंचमी के दिन पूजते हैं जहां पर भगवान राम बैठे थे।
- बसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच एक महत्वपूर्ण प्रसंग घटित हुआ था। गोरी ने मृत्युदंड देने से पहले पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। इस अवसर का लाभ उठाकर कवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया जो काफी प्रचलित है। कवि चंदबरदाई ने कविता के माध्यम से कहा था कि-
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
अर्थात् चार बांस, चौबीस गज और आठ अंगुल जितनी दूरी के ऊपर सुल्तान बैठा है, इसलिए चौहान चूकना नहीं, अपने लक्ष्य को हासिल करो।
चंदबरदाई के संकेत को प्राप्त करते ही पृथ्वीराज चौहान ने बाण चला दिया जो सीधे जाकर गौरी के सीने लगा और उसकी मौत हो गई। यह घटना 1192 ईव को बसंत पंचमी के दिन घटी।
बसंत पंचमी मुहूर्त-
सरस्वती पूजा मुहूर्त – 10:45 से 12:35 बजे तक
पंचमी तिथि का आरंभ (29 जनवरी 2020) – 10:45 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त (30 जनवरी 2020) – 13:18 बजे तक